About: Smart Eco CLub
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स्मार्ट इको क्लब कार्यक्रम

उत्तराखण्ड की पर्यावरण संरक्षण व संवर्द्धन में खास पहचान है। उत्तराखंड पर्यावरणीय अभिनव प्रयोगों व आंदोलनों की धरती है। वर्तमान में बढ़ती जनसंख्या और भौतिकावादी सोच के कारण पर्यावरणीय संतुलन डगमगा सा गया है। नई पीढ़ी को पर्यावरण संरक्षण एवं बढ़ती प्राकृतिक आपदाओं से निपटने हेतु जागरूक बनाना जरूरी हो गया है।

हमारी सोच है कि पर्यावरणीय विसंगतियों का हल उसके प्रति हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर है। फिर चाहे अपने आसपास के परिवेश को साफ रखना हो, प्राकृतिक संसाधनों का पुनः उपयोग या पुनः चक्रण ही क्यों ना हो। प्राकृतिक संसाध के संरक्षण व संवर्द्धन का सबसे अच्छा जरिया बच्चे है। क्योंकि उनके अपने को ई स्वार्थ नहीं होते, वह संवेदनशील होते है, वह हमारा भविष्य है, वह पर्यावरण के प्रति असंवेदनशील हो रहे हैं। साथ-साथ जीवन मूल्यों की शिक्षा देने के उद्देश्य से यूसर्क द्वारा पर्यावरणीय शिक्षा की परिकल्पना की गई। हमारा मानना है कि बच्चों का बचपन बचाने के साथ-साथ पर्यावरण को बचाने हेतु पर्यावरणीय शिक्षा बेहद जरूरी है। पर्यावरणीय शिक्षा के वाहक के तौर पर बच्चे ज्यादा प्रभावी हो सकते हैं। क्योंकि परिवार में सबसे ज्यादा प्रभाव बच्चों का होता है। बच्चों को प्रकृति से जोड़कर उनमें प्रकृति के प्रति आदर भरकर हम समाज को भी प्रकृति के जीवनदायी स्वरूप के संरक्षण के प्रति जागरूक कर सकते हैं।

उत्तराखण्ड में प्राकृतिक आपदा सामान्य घटना बन चुकी है। स्कूलों में पर्यावरणीय शिक्षा को आवश्यक बनाया जाए ताकि बच्चे बनाकर उनके संरक्षण में भागीदार बन से समाज के दृष्टिकोण में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। जंगल औरतों का मायका है। देखरेरख पहाड़ी औरत की सामान्य दिनचर्या है। परिवार के साथ बांटना पहाड़ी संस्कृति का हिस्सा है। प्रकृति के बदलावों, रहस्यों और धड़कनों को करीब से अनुभव करती हैं। वह प्रकृति के हर बदलाव की सूचना रखती है लेकिन इस वैज्ञानिक युग में हमने पीढ़ी दर पीढ़ी का ज्ञान समेटे इस प्राकृतिक महिला विज्ञानी के परंपरागत ज्ञान का समुचित वैज्ञानिक उपयोग नहीं किया है। इस प्राकृतिक महिला विज्ञानी की सूचनाओं का संकलन स्कूली बच्चों के माध्यम से आसानी से किया जा सकता है। साथ ही बच्चों से प्राप्त महत्वपूर्ण पर्यावरणीय प्राकृतिक ताथियो का उपयोग वैज्ञानिक शोध क्रायो और प्रदेश की नीति रीति बनाने में किया जा सकता है। इन सूचनाओं का विश्लेषण कर हम कई विलुप्त होती प्रजातियों को बचा कर पृथ्वी को एक नया जीवन दे सकते हैं।

उक्त आलोक में यूसर्क द्वारा स्कूली शिक्षा में पर्या वरणीय शिक्षा को शामिल करने का महत्व समझते हुए छात्रों को उनके परिवेश, परिवार तथा समाज से जोड़ते हुए उसमें उनके परिवारों की महिलाओं की सहभागिता सुनिश्चित करते हुए एक बहुआयामी कार्यक्रम ‘स्मार्ट इको क्लब’ की परिकल्पना की गई है। यह कार्यक्रम वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बच्चों को पर्यावरण संरक्षण एवं संवर्द्धन की दिशा में प्रेरित करेगा। साथ ही ग्रामीण महिलाओं के पीढ़ी दर पीढ़ी के अनुभवों और प्राकृतिक बदलाव के संकेतों को शोधकर्ताओं, प्रयोगशालाओं, संबंधित विभागों और नीतिकारों तक पंहुचा कर गांव के आखरी छोर के आदमी के हित में विकास योजनाओं को बनाने एवं उनके क्रियान्वयन में मददगार सिद्ध होगा। आज के तकनीकी और प्रौद्योगिकी युग में गांव के आखरी छोर से छात्रों के माध्यम से दिन प्रति दिन की प्राप्त सूचनाओं को तकनीकी के प्रयोग से राज्य के डाटा बैंक तक पंहुचा कर ‘बहुआयामी उत्तराखंड स्मार्ट इन्वायरमें ट इनफाॅरमें शन सिस्टम’तैयार करने में मदद मिलेगी जो कि भविष्य में राज्य का एक बड़ा ‘पर्यावरण सूचना बैंक’होगा। यदि हमारे छोटे-छोटे प्रयासों से ऐसा हो गया तो यह राज्य की एक बड़ी उपलब्धि होगी।

स्मार्ट इको क्लब के उद्देश्य

  • बच्चों में प्रकृति के प्रति प्रेम एवं सम्मान का भाव जागृत करना
  • पर्यावरणीय शिक्षा को महत्व देना
  • आस-पास के प्राकृतिक बदलाव को समझने तथा खोजने की जिज्ञासा पैदा करना
  • बच्चों को मौलिक खोज तथा शोध हेतु प्रेरित करना
  • पर्यावरण और विकास से सम्बधी नीतियों में बच्चों की भागीदारी को बढ़ावा देना
  • बच्चांे को अपने आस-पास की पर्यावरणीय गतिविधियों में शामिल करना
  • बच्चों में वैज्ञानिक दृष्टिकोण पैदा करना
  • बच्चों में अपने गांव के परिवेश, संस्कृति व परम्पराओं के प्रति आदर भाव पैदा करना
  • प्राकृतिक बदलाव के संकेतों को मां-बहन-दादियांे से स्मार्ट इको क्लब तक पहुंचाना
  • गग्राम इको क्लब का गठन कर ग्रामीण स्चच्छता, स्वास्थ्य, शिक्षा तथा वृक्षारोपण जैसे कामों में बच्चों की सहभागिता सुनिश्चित करना
  • पर्यावरणीय मुद्दों पर रचनात्मक तौर तरीकों से जनजागरूकता अभियान
  • पर्या वरण की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थलों की जानकारी लेकर उसके रखरखाव हेतु प्रयास
  • विद्यालय, सार्वजनिक स्थलों और व्यक्तिगत साफ सफाई हेतु जागरूकता अभियान
  • पर्यावरण के लिहाज से गलत व्यवहारों के खिलाफ कार्यवाही हेतु पहल करना
  • अन्य आवश्यकतानुसार

इको क्लब की विशेषताएं

  • अन्य आवश्यकतानुसार
  • गग्राम स्तर की पर्या वरणीय समस्याओं एवं बदलावों की जानकारी एकत्र कर उनके विश्लेषण हेतु एक साझा मंच तैयार करना।
  • पर्यावरण से संबधी विभिन्न बदलावों एवं गतिविधियों की वैज्ञानिक समझ साझा करने हेतु एक राज्य स्तरीय पहल की शुरूआत।
  • आंकड़ों के एकत्रीकरण से छात्रों, अध्यापकों एवं गांव की महिलओं को गांव की छोटी-छोटी घटनाओं के प्रति संवेदनशील बनाने हेतु प्रयास।

स्मार्ट इको क्लब का लक्ष्य

इस कार्यकर्म का उद्देश्य राज्य के दुर्गम क्षेत्रों मे पर्या वरण व परिवेश के प्रति संवेदशीलता जगाते हुए संभावित खतरों पर उपलब्ध ज्ञान व इनसे बचने की जानकारियों के प्रचार-प्रसार द्वारा जागरूकता पैदा करना है। छात्र व महिलाएं हमारा लक्ष्य समूह हैं। हमारा मुख्य उद्देश्य है कि- ऽ 13 जिलों के 95 ब्लॉकों के छात्रों को भविष्य मे इस कार्यक्रम के बारे मे जागरूक करें ।

  • इस विषय पर छात्रों हेतु एक पाठ्यक्रम विकसित करना।
  • समुदाय में वृहद स्तर पर जनजागरूकता अभियान।
  • छात्रों एवं समुदाय का क्षमता विकास

इको क्लब के सदस्य कौन

उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा विभाग के अंतर्गत संचालित राजकीय तथा सहायता प्राप्त हाईस्कूल तथा इंटरमीडिएट कॉलेजो में ‘स्मार्ट इको क्लब‘ का गठन किया जाएगा। एक विद्यालय इको क्लब मे अधिकतम 50 सदस्य होंगे, लेकिन पोषित गांव से एक छात्र क्लब में अनिवार्य सदस्य होगा। प्रत्येक कक्षा से कम से कम 5 छात्र अवश्य ईको क्लब के सदस्य हों। ईको क्लब की आधी संख्या छात्राओं की होनी चाहिए। विद्यालय में गठित स्मार्ट इको क्लब का विस्तार ‘ग्राम इको क्लब‘ में किया जाएगा। अर्थात् जितने गांवों के छात्र उस विद्यालय मे पढ़ रहे हैं वह मिलकर एक ‘ग्राम इको क्लब‘ का गठन करेंगे । इस प्रकार विद्यालय में जितने गावों के बच्चे पढ़ रहे हैं उतने ‘ग्राम इको क्लबों का गठन हो जाएगा।